WOW MOMOS

पहचान ऐसी बनाओ कि लोग तुम्हें शक्ल से नहीं नाम सुनते ही पहचान जाए, ये लाइन बिल्कुल सही बैठती है उन दो दोस्तों पर जिन्होंने जुगाड़ के जरिए बिजनेस स्टार्ट कर दिया, ये कहानी है सेंट जेवियर्स कॉलेज कोलकाता में पढ़ने वाले दो दोस्तों की और ये  वो शख्स है जिन्होंने wow momo की शुआत की सागर दरयानी और binod kumar homagai जिन्होंने सिर्फ ₹30000 से शुरुआत करके थ्री हंड्रेड करोड़ की  कंपनी establish करके लोगों के सामने एक मिसाल कायम की.. सागर को  बचपन से मोमो खाना बेहद पसंद रहा, और इसके साथ ही जहाँ  दूसरे बच्चों के नोटबुक पर सुपर हीरोज के स्टीकर होते तो वही सागर की नोटबुक पर डिफरेंट कंपनी के logos होते थे, बचपन से उनका एक सपना था की खुद का बिजनेस करेंगे लेकिन मिडल क्लास फैमिली से होने की वजह से उनके लिए सपना पूरा करना नामुमकिन सी बात हुआ करती , स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद सागर ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज में एडमिशन लिया वहां उनकी मुलाकात विनोद से हुई वो भी सागर की तरह खुद का बिजनेस करना चाहते और वो  एक मोमो लवर  भी थे,  और इन दोनों की अच्छी दोस्ती हो  गयी।   इनकी दोस्ती के पीछे की वजह थी मोमोज क्योंकि दोनों को मोमो खाना बहुत पसंद था अपना फाइनल ईयर के टाइम पर विनोद ने 1 दिन सागर से कहां कि लोग पिज़्ज़ा बर्गर जैसी चीजों से इतने बड़े-बड़े बिजनेस बना सकते हैं  तो मोमोज से क्यों नहीं इस बिज़नेस में ट्राई करके क्यों ना देखा जाए और आइडिया विनोद को भी अच्छा लगा  कॉलेज के दौरान इन दोनों को ₹300000 के पैकेज की एक अच्छी जॉब ऑफर हुई ...  लेकिन इन दोनों को कुछ अलग ही करना था इन्होंने  खुद पर भरोसा किया और उस ऑफर को ठुकरा दिया और यहां से शुरुआत है वाउ मोमो की शुरुआत में अपने माता-पिता से ₹30000 उधार लेकर और अपने एक रिलेटिव को  Jadavpur  में रिक्वेस्ट करके उनके अपार्टमेंट के ग्राउंड फ्लोर को as a किचन यूज़ करने की परमिशन ली उन्होंने एक किचन, एक टेबल और एक शेफ रामजी केसी को ₹3000 महीने की सैलरी देकर एक पार्ट टाइम जॉब के हिसाब से उन्हें हायर किया, इसके बाद कोलकाता में tollygunge में Spencer's मैनेजमेंट के साथ जाकर उन्होंने बात की 18% रेवेन्यू शेयर करने के बाद Spencer's के अंदर एक छोटा सा स्टोल लगाने की उन्हें परमिशन मिल गई। शुरुआत मे सागर सुबह 5:30 बजे उठकर अपनी साइकिल से मोमो बनाने का रॉ मैटेरियल लेने जाते, और अपने शेफ  की मदद से मोमो तैयार करके Spencer's चले जाते उस समय में सागर और विनोद wow  मोमो की टीशर्ट पहनकर प्लेट में मोमोज हाथ में लेकर खड़े होते हैं और यहाँ  उन्होंने एक जुगाड़ लगाया जो भी लोग  शॉपिंग करने आते  वो  उन्हें फ्री में अपने मोमो टेस्ट  करवाते ,क्योंकि उन्हें अपने मोमो पर इतना ज्यादा भरोसा था कि एक बार कोई उन्हें टेस्ट  कर लेगा तो वो उसे दोबारा जरूर   खाएगा।  पहले दिन में ही ₹2200 की कमाई की और महीने के आखिर में इन्होंने 53 हजार रुपए कमाए इतनी अच्छी प्रोग्रेस देखते हुए Spencer's ने अपने दूसरे आउटलेट पर भी उन्हें स्टाल  खोलने की परमिशन दी।   साल 2008 से साल 2010 के बीच में लगभग 6 स्टाल वाउ मोमो ओपन किए  और साल 2010 में 1400000 रुपए का इन्वेस्टमेंट करके कोलकाता के saltlake sector में उन्होंने अपना पहला वाउ मोमो का स्टोर ओपन किया, और इस तरह धीरे-धीरे करके सक्सेस तो मिलने लगी लेकिन उनके सामने बहुत ही चुनौतियां  भी आयी , एक बिजनेस की समझ ना होने की वजह से उन्हें लीगल इश्यूज को फेस किया,  लेकिन उन दोनो ने कभी भी परेशानियों के सामने  अपने घुटने नहीं टेके, सभी लीगल टर्म एंड कंडीशन पूरी करने के बाद साल 2011 में कोलकाता से बाहर भी स्टॉल्स ओपन करने लगे और कोलकाता के बाद उन्होंने सबसे पहले बेंगलुरु इसके बाद दिल्ली, मुंबई चेन्नई के साथ-साथ इंडिया के ऑलमोस्ट हर सिटी में वाउ मोमो के स्टॉल्स खोले  और इन्होंने इसके बाद कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा आज लगभग राम जी के अंदर 700 से ज्यादा शेफ  काम करते हैं और सागर और विनोद ने लगभग हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया,  उन्होंने शुरुआत स्टीम मोमो से की लेकिन आज उनके पास 16 वैराइटीज ऑफ़ मोमो हैं जैसे पेन फ्राइड मोमो, चॉकलेटमोमो, चिकन मोमो, तंदूरी मोमो, इन्होंने अपने मोमोस को एक मील में तब्दील किया  जिसमें उन्होंने सिजलर,  moburg जैसे चीजें शामिल की। सागर और विनोद की ये  स्टोरी हर यंगस्टर के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, अगर आपके सपनों में जान है तो आप  नामुमकिन सी चीज को भी मुमकिन कर सकते हैं।