Uday Suresh Kotak

आज हम बात करने वाले हैं कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर उदय सुरेश कोटक के बारे में जिन्होंने कोटक कंपनी को अपनी लगन और मेहनत के बलबूते पर आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाया है तो आइए जानते हैं उदय सुरेश कोटक के क्रिकेटर से सक्सेसफुल बैंकर बनने तक का सफर Uday Kotak का जन्म 15 मार्च 1959 मुंबई के एक गुजराती जॉइंट फैमिली में हुआ उनके पिता पार्टीशन के बाद पाकिस्तान से इंडिया आए थे उन्होंने बी.कॉम किया है उदय को बचपन से ही सितार बजाना और क्रिकेट खेलना बहुत अच्छा लगता था और सिर्फ खेलना ही नहीं उन्होंने क्रिकेट में ही अपना करियर बनाना चाहते थे वह बहुत अच्छी बॉलिंग और बैटिंग दोनों किया करते थे लेकिन एक दिन क्रिकेट खेलने के दौरान उनके सर पर बॉल लगने से बहुत गहरी चोट आई वह जो इतनी गहरी थी कि उनकी जान पर बनाई थी लेकिन डॉक्टर्स की कोशिश ने उन्हें किसी तरह बचा लिया और इन्हीं सब प्रोसेस में उनकी पढ़ाई के बीच एक बड़ा गैप आ गया लेकिन जब वह ठीक हुए और उन्होंने दोबारा से अपनी पढ़ाई शुरू करें तो उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी में टॉप किया और फिर जमुनालाल बजाज इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज से उन्होंने मास्टर्स ऑफ़ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी एमबीए किया एमबीए करने के बाद उनके पिताजी चाहते थे कि वह उनका फैमिली बिजनेस जॉइन कर ले लेकिन अपने पिता के पूछने पर उदय ने उन्हें मना कर दिया उन्होंने कहा कि उन्हें खुद का कुछ करना है मैं अपना काम करने के लिए इतने सारे लोगों से इजाजत नहीं लेना चाहता राजा बन के पिता ने पूछा कि फिर तब अपनी जिंदगी में क्या करना चाहते हो तो उन्होंने कहा कि उन्हें फाइनेंसियल कंसल्टेंसी करनी है उनके पिता ने अपने बेटे की बात मानते हुए उन्हें अपने ही ऑफिस में एक जगह दे दी जहां से उदय ने अपने बिजनेस की शुरुआत की और अपनी कंपनी का नाम रखा कोटा कैपिटल मैनेजमेंट फाइनेंसियल लिमिटेड बजे से शुरू आते वक्त में कोटा कंपनी बिल डिस्काउंटिंग का काम करती थी लेकिन फिर एक दिन उनकी मुलाकात टाटा की कमपनी नेलको के फाइनेंस देखने वाले एक व्यक्ति से हुई नेलको मारकिट से कुछ पैसे ले रही थी इन दोनों की मीटिंग के बाद उदय की कंपनी को वोटिंग मिल गई फिर साल 1980 में बहुत से फॉरेन बैंकों ने भारत में ऑफिस खोले जनसे के उदय के फाइनेंस का रास्ता और भी आसान हो गया और फिर साल 1985 मैं उनकी मुलाकात आनंद महिंद्रा से हुई और उन्होंने अपनी कंपनी में इन्वेस्टमेंट करने के लिए उन्हें कन्वेंस कर लिया स्टील के बाद उन्होंने अपनी कंपनी का नाम होटल महिंद्रा फाइनेंसियल लिमिटेड कर दिया फिर क्या था इस वक्त की बात है उन्होंने कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ना शुरू कर दिया था आगे आने वाले कुछ सालों में उन्होंने अपने बिजनेस को आंचल सर्विस अलग-अलग भागों में बांटा जैसे की इन्वेस्टमेंट बैंकिंग स्टॉक ब्रोकिंग लाइफ इन्शुरन्स कार फाइनेंस और म्यूच्यूअल फंड्स और फिर साल 2003 तक कोटक महिंद्रा बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से लाइसेंस लेने वाली भारत के कॉर्पोरेट हिस्ट्री की पहली कंपनी बनी और 2021 तक कोटक महिंद्रा बैंक एक सेक्टर का तीसरा सबसे बड़ा बैंक है उनके इन्हीं सभी कार्यों के लिए उन्हें बहुत से पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है 2014 में I entrepreneur of the year का सम्मान और 2016 में फोर्ब्स मैगज़ीन में सबसे पहले इंडियन फिनांसर बने अंत में उदय की सक्सेस को देखकर यही सीख मिलती है कि जिंदगी में जो भी काम करो उसे पूरी लगन और मेहनत से करो जरूरी नहीं है जो सपने बचपन से देखे हैं वह पूरे हो जाए जैसे कि वह क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन अपने साथ हुई एक घटना की वजह से और नहीं बन पाए लेकिन उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और अपनी सारी परेशानियां देखते हुए भी वह जो कुछ कर सकते थे उन्होंने वह सब किया और पूरी लगन और ईमानदारी के साथ किया |