Sri Sri Ravi Shankar

shri shri ravi shankar

श्री श्री रविशंकर ने 1992 मैं आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की और अब 152 देशों में इसकी शाखाएं हैं। रविशंकर जी का जन्म 13 मई 1956 को तमिलनाडु में हुआ। उनका नाम रवि इसलिए रखा गया क्योंकि उनका जन्म रविवार के दिन हुआ था और उसी दिन आदि गुरु शंकराचार्य जी का भी जन्मदिन था। 4 साल की उम्र में ही रविशंकर जी श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ किया करते थे छोटी सी उम्र में उन्होंने ध्यान लगाना भी शुरू कर दिया था इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा एम.एस.ई स्कूल बेंगलुरु से पूरी की। वहीं St. Joseph's College of Bangalore University से science मे graduationपूरी की। इसके साथ ही इन्होंने वैदिक साइंस में भी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और इन्होंने यह दोनों डिग्रियां मैं 17 साल की उम्र में ही हासिल कर ली थी। रविशंकर पहले महर्षि महेश योगी के शिष्य थे। उनके पिता ने उन्हें महेश योगी को सौंप दिया था। अपनी विद्वता के कारण रविशंकर महेश योगी के प्रिय शिष्य बन गय साल 1981 में रवि शंकर जी ने आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना की इस फाउंडेशन के जरिए लोगों को तनाव और सामाजिक समस्याओं से लड़ने का ज्ञान और योग सिखाया जाता है। रविशंकर जी लोगों को सुदर्शन क्रिया सशुल्क सिखाते हैं, ये क्रिया उन्होंने 10 दिन के मौन के दौरान कर्नाटक के भद्रा नदी के तीरे लयबध्द साँस लेने की क्रिया एक कविता या एक प्रेरणा की तरह उनके जहन में उत्पन्न हुई। उन्होंने इसे सीखा और दूसरों को सिखाना शुरू किया। साल 1997 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर हुमन वैल्यू की स्थापना की जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मूल्यों को फैलाना है, जो लोगों को आपस में जोड़ती है। रविशंकर जी कहते हैं कि साँस शरीर और मन के बीच एक कड़ी की तरह है जो दोनों को जोड़ती है इसे मन को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वह इस बात पर भी जोर देते हैं कि ध्यान के अलावा दूसरे लोगों की सेवा भी इंसान को ही करनी चाहिए वह विज्ञान और अध्यात्म को एक दूसरे का विरोधी नहीं बल्कि पूरक मानते हैं वो एक ऐसी दुनिया बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं जिस में रहने वाले लोग ज्ञान से परिपूर्ण हो ताकि वो तनाव और हिंसा से दूर रह सके। साल 2001 में जब आतंकवादियों ने विश्व व्यापार संगठन पर हमला किया तो आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने पूरे new York के लोगों के निशुल्क तनाव को दूर करने का कोर्स करवाए। इस संस्था ने कोसोवो में युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए सहायता कैंप लगाए। इराक में भी संस्था ने साल 2003 में युद्ध प्रभावित लोगों को तनाव मुक्ति के उपाय बताए। इराक के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर श्री श्री रविशंकर ने इराक का दौरा किया और वहां शिया सुन्नी और कुरदिश समुदाय के नेताओं से बातचीत की। साल 2004 में पाकिस्तान के उन नेताओं से भी मिले जो विश्व शांति स्थापना के पक्षधर थे। संसार ने जब सुनामी को देखा तो संस्था के लोग मदद के लिए वहां खड़े थे। दुनियाभर के कैदियों के उत्थान के लिए भी संस्था निरंतर कार्य करती है। सुदर्शन- क्रिया 'आर्ट ऑफ लिविंग' कोर्स का आधार है। जो लोग सुदर्शन क्रिया सीखने की इच्छा जताते हैं उन्हें एक समझौते पर हस्ताक्षर करना पड़ता है कि वे सुदर्शन क्रिया को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बताएंगे। सुदर्शन क्रिया के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह शरीर, मन और भावनाओं को ऊर्जा से भर देती है तथा उन्हें प्राकृतिक स्वरूप में ले आती है। इसे सिखाने के कोर्स की फीस हर देश में अलग-अलग है। अमेरिका में एक व्यक्ति से 375 डालर लिये जाते हैं। कालेज के विद्यार्थियों को कुछ छूट दी जाती है। इसके अलावा कुछ और संस्थाएं हैं जो श्री श्री रवि शंकर की देख-रेख में काम करती हैं जैसे वेद विज्ञान विद्यापीठ, श्री श्री सेंटर फार मीडिया स्टडीज, श्री श्री कालेज ऑफ़ आयुर्वेदिक साइंस एण्ड रिसर्च, श्री श्री मोबाइल एग्रीकल्चरल इनिसिएटीव्स, श्री श्री रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट भी शामिल हैं। श्री श्री रविशंकर जी को साल 2007 में नेशनल वेटरेनस फाउंडेशन अवार्ड अमेरिका से सम्मानित किया गया। इसी साल वर्षद कन्नडिगा, ई टीवी अवार्ड भी दिया गया। साल 2006 में आर्डर पोल स्टार मंगोलिया के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से भी नवाजा गया। साल 2016 में भारत सरकार के द्वारा श्री श्री रविशंकर जी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।