Ritesh Agarwal

कुछ करने का जुनून अगर आपके अंदर हो तो उम्र महज़ नंबर से ज्यादा कुछ नहीं होती। आज बात कर रहे ओयो रूम के फाउंडर रितेश अग्रवाल जिन्होंने महज18 साल की उम्र में ही भारत की लार्जेस्ट होटल चैन की नींव रख। हालांकि अगर आज देखा जाए ओयो रूम को सफलतापूर्वक बिजनेस करते हुए कई साल हो चुके हैं शुरुआत से लेकर आज तक रितेश ने जिस जज्बे और जुनून के साथ काम किया उसी का नतीजा है कि ये भारत के साथ-साथ चाइना, मलेशिया, नेपाल, यूनाइटेड किंगडम, यूएई, सऊदी अरेबिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया और जापान जैसे देशों में भी उनकी कंपनी छाई हुई है और इन देशों के लगभग 500 से भी ज्यादा शहरों के अंदर 450, 000 से भी ज्यादा ओयो रूम्स उपलब्ध है। Oyo एक कैसी कंपनी है जो आज इस मुकाम पर पहुंच गई है जिसे कंपटीशन देने वाला कोई आस-पास नहीं भटकता। 16 नवंबर 1993 को उड़ीसा में रितेश अग्रवाल का जन्म हुआ और 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने सेक्रेड हार्ट स्कूल (scared heart school) से की और इसके बाद वो आईआईटी के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए वह कोटा आ गए यहां पर आने के बाद वो पढ़ाई के साथ ही अपने दोस्तों के साथ अलग-अलग जगह पर जाकर घूमना पसंद करते थे कोटा में रहते हुए ही उन्होंने एक बुक लिखी जिसका नाम है अ कंपलीट इनसाइक्लोपीडिया ऑफ टॉप हंड्रेड इंजीनियरिंग कॉलेज (a complete encyclopedia of top 100 engineering college) 16 साल की उम्र में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में होने वाले एशियन कैंप में रितेश को सेलेक्ट किया गया। और ये एक ऐसा प्लेटफार्म था जहां पूरे एशिया के स्टूडेंटस किसी स्पेशल प्रॉब्लम पर बातें करके साइंस एंड टेक्नोलॉजी की मदद करते हैं। इसके साथ ही रितेश को अलग-अलग स्टार्टअप और बिजनेस के बारे में पढ़ने का भी बेहद शौक था जिसके साथ ही वह दिल्ली और मुंबई में होने वाले अलग-अलग सेमिनार में हिस्सा लिया करते और यही वजह रही कि रितेश को अपने बजट के अकॉर्डिंग होटल ढूंढ कर रहना पड़ता। इसी तरह पैसों की बचत करते-करते रितेश के दिमाग में एक बिजनेस का आईडिया आया। और इसी दौरान वो एयरबीएनबी नाम की एक कंपनी के मॉडल से भी वो काफी प्रभावित हुए। दरअसल एयरबीएनबी San Francisco की ऑनलाइन मार्केटप्लेस एंड हॉस्पिटैलिटी सर्विस प्रोवाइड करने वाली ही कंपनी है। और फिर पूरी प्लानिंग के बाद से साल 2012 में उन्होंने अपने पहले स्टार्ट अप Oravel Stays की शुरुआत की और इस कंपनी का मकसद था कम रेट में लोगों के लिए रूम्स अवेलेबल कराना जिससे ऑनलाइन भी बुक किया जा सके रितेश ने इस कंपनी को स्टार्ट करने से पहले ही इतनी ज्यादा इंफॉर्मेशन इकट्ठा कर ली जिससे उन्हें पता था कि किस तरह से फंडिंग लेनी है और इसमें कैसे आगे बढ़ना है इसके चलते ही बहुत ही जल्द उन्हें venture nursery से 30 लाख रुपए की फंडिंग मिल गई रितेश को बिजनेस आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त पैसे उपलब्ध थे। लेकिन Oravel stays एक ऐसा स्टार्ट अप था जिसमें कम पैसों में कस्टमर्स के लिए होटल तो अरेंज कर दिया जाता था लेकिन एक प्रॉब्लम होती थी कि वह होटल वाले उनकी फैसिलिटीज अच्छे से ध्यान नहीं देते थे और इसीलिए धीरे-धीरे Oravel stays की पॉपुलैरिटी कम होने लगी जिसके ऊपर रितेश ने अच्छे से रिसर्च करके इस कंपनी को ओयो रूम्स के नाम से री लांच किया। इस बार कम प्राइस के साथ साथ कस्टमर की फैसिलिटी स्वर्गीय पूरा ध्यान दिया गया और हर ओयो रूम का एक स्टैंडर्ड सेट किया गया जिसे सभी होटल वालों को फॉलो करना पड़ता और इन्ही सभी इंप्रूवमेंट के बाद से रितेश अग्रवाल की कंपनी देश की सबसे बड़ी कंपनी बन गई। ओयो रूम की शानदार स्ट्रैटेजी को देखते हुए बहुत ही जल्द लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स, डीएसजी कंज्यूमर पार्टनर, इसके अलावा भी कई कंपनी से मिलियन डॉलर्स की इन्वेस्टमेंट मिली। इसके बाद से ओयो रूम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह लगातार तरक्की की नई-नई ऊंचाइयों को छूने लगे और आज ओयो रूम ना सिर्फ भारत बल्कि अलग-अलग देशों के बहुत से शहरों में छाया हुआ है ओयो रूम की कहानी हर युवा व्यक्ति के लिए मोटिवेशन है जो अपनी लाइफ में मेहनत और लगन से नया मुकाम हासिल करने का सोच रहे हैं।