Nana Patekar

Author: Sunaina Sarkar


अगर हमें यह डायलॉग सुनने को मिले खुद मर रहा है तो मर न दूसरे के कई को वाट लगता है, आ गए मेरे मौत का तमाशा देखने और भगवान का दिया हुआ सब कुछ है दौलत है शौहरत है इज्जत है इन सारी फिल्मों में चार चांद लगाने वाले एक्टर नाना पाटेकर के बारे में आज हम बात करने वाले हैं जिनका हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में नाम नहीं काम बोलता है जिनके धमाकेदार एक्टिंग SE आज भी इंडस्ट्री के नए कलकामरो को प्ररेणा मिलते है फिर चाहे वह क्रांतिवीर जैसी सीरियस फिल्म में कड़क किरदार निभाना हो या फिर welcome जैसी कॉमेडी फिल्म में डॉन का किरदार निभाकर लोगों को एंटरटेन करना हो और बस इतना ही नहीं वह फिल्मी दुनिया में अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में तो जगह बना ही चुके हैं लेकिन असल जिंदगी में भी नाना पाटेकर लोगों के दिलों पर राज करते हैं क्योंकि वह किसानों को खेती की नई तकनीक और आर्थिक सहायता देने के लिए भी जाने जाते हैं उन्होंने NGO की भी शुरुआत की जिसका नाम रखा नाम फाउंडेशन और उन्होंने अपनी निजी संपत्ति को बहुत से गरीब किसानों को दान में देकर उनकी मदद की इसके अलावा जिन गरीब किसानों ने हालात से मजबूर होकर खुदकुशी कर ली थी उनके घर वालों के लिए भी उन्होंने आर्थिक मदद प्रदान की नाना पाटेकर की सादगी का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि जितना पैसा उन्होंने अपनी मेहनत से फिल्में करके कमाया है उससे वह अपनी सारी जिंदगी ऐसो आराम में काट सकते थे लेकिन उन्होंने अपना गांव ही चला और वह आज के समय में भी अपने गांव में ही रहना पसंद करते हैं..... महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में 1 जनवरी 1951 नाना पाटेकर का जन्म हुआ उनका नाम विश्वनाथ पाटेकर रखा गया नाना के पिता का टेक्सटाइल का बिज़नेस था उन्होंने अपनी पढ़ाई जे जे इंस्टिट्यूट से की बचपन से ही उन्हें एक्टिंग और पेंटिंग करने का बहुत शौक था अपने स्कूल में हो रहे हर एक नाटक में वह हमेशा पार्टिसिपेट किया करते थे और उसके बाद भी उन्हें जितने भी नाटकों के लिए आमंत्रित किया जाता वह उन सभी में पार्टिसिपेट करते अब तक तो उनकी जिंदगी में सब कुछ ठीक ही चल रहा था बुरा वक्त तब आया जब उनके पिता के भजन में घाटा हो गया जिसकी वजह से उनके घर की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई और खाने के भी लाले पड़ गए उस वक्त नाना की उम्र केवल 13 साल और उन्होंने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि 13 साल की उम्र से ही उन्होंने बाहर जाकर काम करना शुरू कर दिया था स्कूल से लौटते हैं उन्हें अपने घर से काफी दूर जाना पड़ता था काम करने के लिए जहां वह फिल्मों के पोस्टर्स को पेंट किया करते थे जिससे उन्हें महज ₹35 मिलते थे जिससे वह बस एक वक्त का खाना ही खा पाते थे अपनी जिंदगी की अपनी मुश्किल घड़ियों में भी उन्होंने नाटकों में पार्टिसिपेट करना नहीं छोड़ा इन्हीं सब के चलते उन्हें उनके करियर का पहला ब्रेक दिया विजय मेहता ने जिसके बाद नाना पाटेकर के आतंक को पर्दे पर देख कर लोगों ने उनकी एक्टिंग को खूब सराहा इसके बाद उन्होंने गमन नाम की एक फिल्म में सपोर्टिंग एक्टर के रूप में काम किया वह फिल्म इतनी सफल तो नहीं हुई लेकिन नाना पाटेकर के एक्टिंग ने लोगों के दिलों में जगह बनानी शुरू कर दी थी इस फिल्म के बाद उन्होंने कई और मराठी फिल्में जैसे भालू, रघु मैना, सिंहासन, सावित्री मैं काम किया इसके बाद नाना पाटेकर ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी अपना हाथ आजमाया और उनहे उनकी पहली फिल्म जिसका नाम था आज की आवाज इसी फिल्म के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा एक के बाद एक हिट फिल्में करी जैसे मोहरे, अपहरण, राजनीती, वेलकम, परिंदा और अंकुश और उन्हें बहुत से पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है..... परिंदा, क्रांतिवीर और agni sakshi इन तीनों फिल्मों के लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड और 4 बार फिल्मफेयर अवार्ड और दो बार स्टार स्क्रीन अवार्ड स्टार स्क्रीन अवार्ड और बस इतना ही नहीं 26 जनवरी 2013 को उन्हें भारत का चौथा सबसे बड़ा पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है