एक कैंडी स्टोर 1900 में जैसा दिखता था वह आज के समय के हिसाब से बहुत अलग था उस वक्त कैंडीज एक बहुत स्पेशल ट्रीट होते थी जिनके लिए अलग से शॉप्स होती थी जैसे आज के वक्त में कैंडिस रेपुर में आती है पहले के समय में रेपरस में नहीं आती थी और ना ही आज के हिसाब से रेक्स में रखी जाती बल्कि ट्रांसपेरेंट गिलास के जॉर्ज में रखी जाती थी और शॉपकीपर्स उन्हें एक छोटे से पैकेट में डाल कर दिया करते थे और उस समय कैंडी के बहुत से फिलेवृस मिला करते थे जैसे बटरस्कॉच टॉफ़ी कैरामिल मोलासेस कैंडी और हार्ड कैंडी और इन सभी को बहुत ही कलरफुल बनाया जाता था आइए जानते हैं मिल्टन हर्षा है कैसे बने चॉकलेट किंग जिन लोगों को चॉकलेट खाना बहुत पसंद है उन्हें 13 सप्टेंबर का दिन सेलिब्रेट करना चाहिए क्योंकि इसी दिन पेंसिलवेनिया में 13 सेप्टेंबर 1857 को Milton Snavely Hershey का जन्म हुआ था मिल्टन के माता पिता का नाम हेनरी एंड फैनी हर्षा था हर्षित को बचपन से ही किताबें पढ़ने का बहुत शौक था और नई-नई चीजें ट्राई करने का भी जिससे उन्हें कुछ अलग हटके करने का आईडिया मिले उनके घर की फाइनेंसियल कंडीशन बिलकुल भी ठीक नहीं थी जिस वजा से harshay ने 6 वर्ष की उम्र में स्कूल में एडमिशन लिया था और वह बस चौथी क्लास तक की पढ़ाई कर पाए पैसों की कमी की वजह से उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा और 10 साल की उम्र में उन्होंने न्यूज़ पेपर छापने वाली एक कंपनी में काम करना शुरू कर दिया लेकिन काम करते समय हुई एक गलती की वजह से उस कंपनी के मालिक ने उन्हें काम से निकाल दिया इन सबके बाद हर्षि की मां ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें कैंडिस कैसे बनती है वह प्रोसेस सीखना चाहिए और फिर उन्होंने हर्ष की नौकरी एक कैंडी शॉप में लगवा दी और कुछ ही सालों में हर्ष कैंडी बनाने में एक्सपर्ट हो गए और फिर उन्होंने इसी में अपना बिजनेस शुरू करने का सोचा जिस वजह से वो फिलाडेल्फिया गए और वहां पर उन्होंने दूध से कैरेमल बनाना सिखा केदार उन्होंने एक लंकास्टर कैंडी कंपनी की शुरुआत की वह जानते थे की कैरेमल बहुत ज्यादा मात्रा में बिकता है और अपनी कैंडी को बेचने के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया एक बार उन्होंने अपनी कैंडी को इंग्लैंड से आए व्यक्ति को चखिए और उस व्यक्ति को वह कैंडी इतनी पसंद आई कि उन्होंने हर्ष को एक बड़ा ऑर्डर दिया जिसके बाद हर्षद को उनके प्रशंसक बहुत फायदा हुआ 1890 तक यह कंपनी एक सक्सेसफुल कंपनी बन गई थी किस कंपनी को सक्सेसफुल बनाने के बाद उनकी दिलचस्पी चॉकलेट बनाने की तरफ बढ़ी और उन्होंने अपनी गारमेंट कंपनी को 10 lakh dolar में बेच दिया और harshay’s कंपनी की शुरुआत की और उसी वक़्त से harshay ने अपना सारा ध्यान चॉकलेट बनाने में लगाया और बहुत सालों की मेहनत के बाद उन्होंने harshay चॉकलेट बनाई उनकी बनाई इस चॉकलेट ने अमेरिकंस का चॉकलेट के प्रति नजरिया ही बदल दिया हर्षित की बनाई हुई चॉकलेट अलग से पैकेट में रात होकर मिलती थी अफोर्डेबल भी थी और पोर्टेबल भी थी उन्होंने चॉकलेट खरीदने का जरिया ही इतना आसान बनाया कि वह ग्रोसरी स्टोर्स, ड्रग स्टोर्स हर जगह मिल सकती थी और 1903 आते आते हर्षित चॉकलेट कंपनी दुनिया के नंबर वन चॉकलेट कंपनी और इतना ही नहीं उन्होंने हर्षित इंडस्ट्रियल स्कूल की स्थापना भी की है और अपनी पूरी संपत्ति का आधे से ज्यादा हिस्सा स्कूल के ट्रस्ट के नाम कीया अंत में हमें इनके जीवन मैं किए हुए कार्यों से यह सीख मिलती है की विद्या एक बहुत बड़ा धन है अपनी पढ़ाई बीच में छूटने की वजह से उन्होंने हार नहीं मानी बल्कि अपनी जिंदगी में वह जो सीख सकते थे उन्होंने वह सीखा और इतने बेहतरीन तरीके से सीखा आज उनकी चॉकलेट कंपनी नंबर वन पर है दूसरा बहुत बड़ा और सच्चा दिल जब उन्हें लगा कि उनकी संपत्ति उनकी जरूरत से ज्यादा है तो उन्होंने अपने आधी संपत्ति को दान किया जिससे बच्चों का भविष्य उज्जवल हो |