Kiran Mazumdar-Shaw

किरण Mazumdar-Shaw बायकॉन लिमिटेड की चेयर पर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर है। इन्हें बायकॉन की क्वीन के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने ये मुकाम बहुत ही कड़े परिश्रम के बाद हासिल किया जिससे बायकॉन इंडिया को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। जिस टाइम पर उन्होंने यह फैसला किया कि वो अपना खुद का बिजनेस करेंगी तो उनके पास इतने पैसे नहीं थे जिसे वो अपना कोई काम शुरू कर सकें उन्होंने बैंक से लोन भी लेना चाहा लेकिन बैंक ने उन्हें लोन नहीं दिया। क्योंकि उस टाइम पर बायोटेक्नोलॉजी एकदम नया शब्द था। इन्हें लोन न मिलने से भी इनके इरादों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। 28 मार्च 1953 को बेंगलुरु में किरण मजूमदार का जन्म हुआ। इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई बेंगलुरु के बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल से पूरी की। किरण ने अपनी ग्रेजुएशन भी बेंगलुरु से ही की थी। और अपनी आगे की पढ़ाई के लिए वह मेलबर्न यूनिवर्सिटी चली गई जहां उन्होंने ‘मॉल्टिंग और ब्रूइंग’ सब्जेक्ट की पढ़ाई की । ऑस्ट्रेलिया से वापस आने के बाद उन्होंने सोचा मैं ब्रुअरमास्टर का काम करूंगी लेकिन जब वो काम ढूंढने निकली और जगह जगह इन्होंने इंटरव्यू भी दिए तो किसी ने भी इन्हें अप्वॉइंट नहीं किया। क्योंकि ये एक female थी इसके बाद साल 1976 में वो स्कॉटलैंड चली गई। और वहां पर उन्होंने ब्रुअरमास्टर के तौर पर काम करना शुरू किया। साल 1978 में इनकी मुलाकात बायोकॉन कंपनी की को- फाउंडर से हुई। जिसके बाद उन्होंने किरण को अपने साथ काम करने को कहा उस टाइम पर वो papaya से enzyme बनाया करते थे और इंडिया में पपीते के बहुत से पेड़ होते हैं जिसके बाद वह इंडिया वापस आ गई और उन्होंने इंडिया में बायोकॉन की शुरुआत की। उन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत ₹10000 की और इस कंपनी की शुरुआत उन्होंने एक garage से की थी। शिद्दत के साथ वो इस काम में लगी रही उस टाइम पर उनके पास दो employees थे। जो कि कार मैकेनिक थे। 1 साल के अंदर ही इनका काम अच्छे से चलने लगा क्योंकि बायोकॉन कंपनी पहले से ही प्रोडक्ट बना रही थी इस साल में हुई income से उन्होंने एक जमीन खरीदी जिस पर वह बायोकॉन कंपनी को सेटअप किया। ये कंपनी इंडिया में अच्छा काम करने लगी और इसके प्रोडक्ट्स अलग-अलग जगह पर सेल हो रहे थे। साल 1989 के बाद बायोकॉन लिमिटेड भारत की पहली बायोटेक्नोलॉजी कंपनी बानी । लगातार मेहनत के साथ साल 2003 तक मानव इंसुनिल विकसित करने वाली पहली कंपनी बन गई। आज ये कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है। साल 2004 में इन्होंने शेयर मार्केट तक पहुंचने के लिए ‘बायोकॉन लिमिटेड’ के research programs को develop करने का फैसला किया. बायोकॉन का आईपीओ 32 बार ओवर सब्सक्राइब हुआ और पहले दिन 1.11 बिलियन डॉलर के बाजार रेट के साथ बंद हुआ, listed होने के पहले ही दिन ‘बायोकॉन लिमिटेड’ 1 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड को पार करने वाली भारत की दूसरी कंपनी बन गई.इंग्लैंड की मशहूर मैगज़ीन ‘द मेडिसिन मेकर’ ने मेडिसिन फील्ड की 100 हस्तियों की लिस्ट में किरण को दूसरे नंबर पर रखा है. और इस मैगेज़ीन में भारत से सिर्फ किरण मजूमदार को इस लिस्ट में जगह दी है.भारतीय कंपनी ‘बायोकॉन लिमिटेड’ की सीएमडी किरण मजूमदार-शॉ दवा बनाने वाली दुनिया की दूसरी सबसे शक्तिशाली हस्ती हैं, जो एंथनी फॉची (डायरेक्टर) नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिजीज, अमेरिका, के बाद दूसरे स्थान पर हैं.किरण मजूमदार को देश के नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है। पिछले कई सालों से किरण मजूमदार का नाम दुनिया की अरबपति महिलाओं की लिस्ट में शामिल है। कोरोना काल के दौरान किरण मजूमदार की कंपनी ने दुनिया भर में दवा पहुंचाने में बहुत मदद की, जिस कारण उन्हें और भी ज्यादा पहचान मिली।