Ira Sehgal

इरा सिंघल upsc टॉपर जो बहुत से लोगों के लिए इंस्प्रेशन है इनकी कहानी बहुत मोटिवेशनल भी है बचपन से ही स्कोलियोसिस बीमारी से ग्रस्त इरा ने कभी खुद को कभी चैलेंज्ड नहीं माना. इरा कहती हैं, कमियां सबमें होती हैं पर दिखाई किसी-किसी की देती हैं. मेरे जैसे लोगों की कमी दिखाई देती है पर इसका मतलब यह नहीं कि इसे लेकर बैठ जाएं. लाइफ में ऐसा कुछ नहीं जो हम नहीं कर सकते. अपना पोटेंशियल इंसान को खुद पता होता है, सामने से कोई आकर आपको आपकी क्षमताएं नहीं बता सकता. आपको यह हक किसी को देना भी नहीं चाहिए. इसलिए सपने देखिए और उन्हें पाने के लिए आगे बढ़िये..इरा का जन्म मेरठ में हुआ और शुरुआती शिक्षा भी मेरठ से हुई . जब इरा पैदा हुई थीं तो एक आम बच्चे जैसी ही थीं पर जैसे -जैसे उनकी उम्र बढ़ी ये बीमारी सामने आने लगी. उनके माता-पिता ने बहुत इलाज कराया पर कोई फायदा नहीं हुआ. एक डॉक्टर ने ऑपरेशन सजेस्ट किया पर जिसमें जान का खतरा था इसलिए इरा के मां-बाप ने कभी ये ऑप्शन करवाने के लिए माना कर दिया। इस बीमारी में स्पाइन का शेप बदल जाता है. जैसे इरा की स्पाइन एस शेप की है. उनकी आर्म पूरी तरह काम नहीं करती और बाकी अंग भी फुली एक्टिव नहीं हैं. हालांकि इससे उन्हें अपने काम करने में खास दिक्कत पेश नहीं आती और जो दिक्कतें आयीं उन्हें कभी इरा ने राह की बाधा बनने नहीं दिया.कुछ समय बाद इरा के पिता दिल्ली शिफ्ट हो गए. इरा की आगे की सारी पढ़ाई यहीं से हुयी. इरा के माता-पिता ने उन्होंने हमेशा एक आम बच्चों जैसा ही ट्रीटमेंट उनके साथ किया. इरा के बचपन में एक बार उनके शहर में कर्फ्यू लगा और स्कूल आदि सब बंद कर दिए गए. छोटी इरा ने पूछा कि स्कूल क्यों बंद हैं तो उन्हें जवाब मिला डीएम के ऑर्डर हैं. इरा को इस बात को सोच से ही मजा आ गयी कि किसी के ऑर्डर पर पूरा शहर बंद हो सकता है. तभी उन्होंने सोचा कि वे भी बड़े होकर डीएम बनेंगी.पीएच कैंडिडेट्स को होने वाली मुश्किलों का सामना करते भी उनके मन में यह ख्याल आया कि कोई ऐसी सर्विस ज्वॉइन करें जिससे लोगों की सेवा कर पाएं. इरा को हमेशा से समाज के हर तबके की मदद करने में बहुत रुचि थी. इस ख्याल से इरा ने बचपन से ही दो सपने देखे थे, एक डॉक्टर बनना या दूसरा यूपीएससी पास करना. इरा अपने क्लास 12 के बाद के दिनों को याद करते हुए थोड़ा नाराज़ भी दिखती हैं कि वे बायोलॉजी लेना चाहती थीं पर उनके पिता ने ऐसा नहीं करने दिया और तो और उनका स्कूल भी बदल दिया. उन्होंने कहा कि तुम खुद मरीज लगती हो, तुमसे कौन इलाज कराएगा. इरा को दुख तो बहुत हुआ पर उनके पास कोई ऑप्शन नहीं था इसलिए उन्होंने मैथ्स लेकर इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया। एनएसआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद इरा ने एफएमएस से एमबीए किया. इसके बाद उनकी एक एमएनसी में बहुत ही अच्छे पैकेज में जॉब लग गयी. यहां इरा 16 से 20 घंटे काम करती थीं. तभी इरा को लगा कि इतनी मेहनत करके भी मैं न किसी कि जिंदगी को बेहतर बना सकती हूं न उसमें कोई बदलाव ला सकती हूं, यहाँ केवल में पैसा कमा रही हूं. यह ख्याल आने पर इरा ने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. इरा ने कुल चार बार यूपीएससी परीक्षा दी. चारों बार उनका सेलेक्शन हुआ जिसमें तीन बार उन्हें आईआरएस मिला. उनकी फिजिकल कंडीशन की वजह से सरकार के पास उन जैसे कैंडिडेट्स के लिए ज्यादा ऑप्शन नहीं थे. आईआरएस में सिलेक्शन होने के बाद भी इरा कॉल का वेट करती रहीं पर उन्हें कमीशन से कोई कॉल नहीं आयी. पता करने पर मालूम हुआ कि उनकी डिसएबिलिटी केवल आईएएस सेवा कवर की जाती है. उनकी रैंक आईएएस वाली नहीं थी. इस बीच इरा को उनके दोस्तों ने बताया कि उनके साथ भी ऐसा हुआ है कि सिलेक्शन होने के बाद भी कॉल नहीं आयी. उनके साथी poor बैकग्राउंड के थे इसलिए इरा ने इस डिस्क्रिमिनेशन के खिलाफ केस फाइल किया. तीन साल तक यह केस चलता रहा और इरा ने तीनों बार यूपीएससी दिया और उन्हें हर बार आईआरएस मिला. काफी टाइम के बाद कोर्ट ने भी सरकार से उन्हें ज्वॉइन कराने के लिए कहा. हताश इरा आईआरएस की ट्रेनिंग के लिए निकल पड़ीं. लेकिन ये फैसला केवल उनके लिए हुआ उनके साथियों के लिए पॉलिसी नहीं बदली गयी जैसा कि वे चाहती थीं. इस बीच सबके कहने पर इरा ने बेमन से और आखिरी बार फिर परीक्षा दे दी.इतने सालों में इरा यूपीएससी की बहुत पक्की तैयारी कर चुकी थीं और इस प्रयास के बाद उन्होंने अपने घर से यूपीएससी की तैयारी की किताबें तक हटा दी थीं. वे सोच चुकी थीं कि बस ये आखिरी कोशिश है पर ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था. इस बार इरा ने न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की बल्कि ऑल इंडिया रैंक में टॉप किया.. इसी के साथ इरा देश की पहली डिफरेंटली एबेल्ड कैंडिडट बनीं जिसने यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया. इरा की बीमारी जिस कैटेगरी में आती थी वो केवल आईएएस पद के अंडर ही मेंशन थी. आखिरकार इरा को अपने मकसद में सफलता मिली. इरा कहती हैं सपने हर किसी को देखने चाहिए लेकिन अपने खुद के संजोये हुए, किसी और से उधार लिए या कॉपी किये नहीं. क्योंकि आप केवल अपने सपने को पाने के लिए वो मेहनत कर सकते हो जो शिखर तक ले जाए किसी और के नहीं.