baba harbhajan singh

Baba  Harbhajan Singh

कप्तान बाबा हरभजन सिंह जिन्हे लोग नाथुला का जांबाज़ हीरो भी कहते है, भारतीय सेना के एक वीर सैनिक थे। इनका जन्म 30 अगस्त 1946 को गुंजरावाल पंजाब के सदराना गांव में हुआ जो की वर्तमान पाकिस्तान में है। उन्होंने अपनी प्राइमरी स्कूलिंग एक गाँव के स्कूल में पूरी की और फिर मार्च 1965 में पट्टी, पंजाब के डीएवी हाई स्कूल से मैट्रिक किया। फिर वो अमृतसर में एक सैनिक के रूप में भर्ती हुए और पंजाब रेजिमेंट (भारत) में शामिल हो गए। हरभजन सिंह 1966 में आर्मी में भर्ती हुए लेकिन सिर्फ दो साल की ड्यूटी के बाद 1968 में सिक्किम में नाथुला दर्रे के पास अपनी जान गंवा बैठे। एक दिन जब वो खच्चर पर बैठ कर नदी पार कर रहे थे तो खच्चर सहित नदी में बह गए। नदी में बहकर उनका शव नदी में काफी आगे बढ़ गया। जब वे तीन दिनो तक नहीं मिले तो आर्मी के लोगो ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था। फिर चौथे दिन बाबा हरभजन सिंह उनके दोस्त के सपने में आए और अपने शव का पता बताया जो की ढूंढने पर वही मिला। उन्हें बाबा की लाश देख अफ़सोस हुआ कि उनकी हालत पता न होते हुए भी भगोड़ा कहा गया। उनका शरीर जब बरामद हुआ तब उन्हें पूर्ण सैन्य अंतिम संस्कार दिया गया था। हरभजन के इस चमत्कार के बाद उनके साथी सेनिको की उनमे आस्था बढ़ गयी। आर्मी ने उनके बनकर को नाथुला दर्रे पर उनके सम्मान में एक मंदिर रूप दे दिया। जब बाद में उनके चमत्कार बढ़ने लगे और वो आस्था का एक प्रतीक बन गए, तब एक नए मंदिर का निर्माण किया गया जो की गंगटोक में पुराने मंदिर से करीब एक हज़ार फ़ीट निचे स्तिथ हुआ। हालाँकि, उनकी आत्मा उस क्षेत्र में तैनात सैनिकों की रक्षा करती रही। ये भी कहा जाता है की बाबा हरभजन सिंह अपने साथी सैनिकों के सपनों में आते है और दुश्मन से खतरे और उनकी गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हैं। उन्हें सिक्किम में भारत-चीन सीमा के पास नाथुला दर्रे के दुर्गम इलाके में तैनात सैनिकों का आध्यात्मिक संरक्षक और रक्षक माना जाता है।

उनके सम्मान में जिस मंदिर का निर्माण हुआ है, उसका रखरखाव भारतीय सेना करती है। मंदिर में सैनिकों और नागरिकों द्वारा समान रूप से दौरा किया जाता है, जो प्रार्थना करते हैं और बाबा हरभजन सिंह का आशीर्वाद लेते हैं। भारतीय सेना भी उन्हें रेजिमेंट का सक्रिय सदस्य मानते हुए आधिकारिक रोल और पदोन्नति में शामिल करती रही है। मंदिर में बाबा हरभजन सिंह की फोटो और उनका सामान रखा है। यहाँ एक कमरा भी है जिसमें रोज़ सफाई की जाती है और आर्मी यूनिफार्म और शूज के साथ बिस्तर भी लगाया जाता है। कहते है वहाँ सफाई करने पर जूतों में कीचड़ और चादर पर सलवटे पाई जाती है।

इस मंदिर को ले कर एक मान्यता यह भी है की एक बोतल पानी भर कर अगर इस मंदिर में तीन दिन के लिए रख दिए जाए तो उस पानी में चमत्कारी गुड़ आजाते है और ये पानी पिने से लोगो के रोग भी दूर होते है। यहाँ पर पोस्टिंग हुए हर नये सैनिक सबसे पहले यहाँ बाबा का आशीर्वाद लेने आता है। हरभजन एक वीर जवान हैं जो शहीद होकर भी पुरे साल 24 घंटे लगातार देश की सेवा कर रहे हैं, आर्मी वाले उनकी तंख्वा हर महीने उनके घर भेजते है। कुछ साल पहले तक बाबा को छुट्टी पर घर भी भेजा जाता था तब आर्मी फाॅर्स हाई अलर्ट पर रहते थें क्युकी उस वक़्त उन्हें बाबा की मदद नहीं मिल पति थी। आर्मी के दो कैंडिडेट उनका सामान छुट्टी पर उनके साथ घर लेकर जाते और दो महीने बाद वापस सिक्किम भी लाते थे। उनके आने जाने के लिए बाकायदा ट्रैन की सीट्स भी रिजर्व्ड की जाती थी। तब बाबा 10 महीने देश की सेवा करते थे। पर उस दरम्यान बाबा का बॉर्डर से जाना और वापस सिक्किम आना एक धार्मिक आयोजना का रूप लेता जा रहा था। कुछ लोगो के अकॉर्डिंग ये अंधविश्वासी था तो उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखआया। उसके बाद से बाबा 12 महीने ऑन ड्यूटी रह कर देश की सेवा करते है। जब कभी कोई चौकिदार की बोरडर पर पहरा देते वक्त आंख लग जाती है तो उनको हवा से चाटे भी पड़ते मानो कोई उन्हें जगा रहा हो। आर्मी ऑफिसर्स ने उन्हें 'बाबा' की उपाधि दी। हरभजन सिंह की जीवनी पर प्लस-माइनस नाम की एक शॉर्ट फिल्म भी बानी जो की 2018 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म के लिए भुवन बाम और दिव्या दत्ता एक साथ नज़र आए और फिल्म का डायरेक्शन ज्योति कपूर दास ने किया था। इस फिल्म ने 64वें फिल्मफेयर Awards में Best Short फिल्म का अवार्ड जीता। आर्मी आज भी उनको याद करती हैं। baba harbhajan ji हर दिल में आज भी अमर है और हमेशा अमर रहेंगे।